अंतरराष्ट्रीय आईडिया(International
IDEA) के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने
ने कहा। "हमारे समुदाय में महिलाओं का नेतृत्व आसानी से स्वीकार्य नहीं है। हमारे
धर्म में समानता, शिक्षा के लिए समान
अवसर और यहां तक कि शादी के विकल्प होने का भी उल्लेख है। व्यवहारिक रूप से,
हालांकि, सांस्कृतिक कारणों की वजह से महिला नेताओं को समाज द्वारा स्वीकार
नहीं किया जाता। स्कूल के दिनों में मैंने बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है,
कई बार मेरे परिवार से भी पूछा गया की वे मुझे क्यों
स्कूल भेज रहे हैं।
एक बढ़ई की बेटी, जिसने एक सरकारी स्कूल में अध्ययन किया और जिसे एक साल बाद आर्थिक समस्या की वजह से कॉलेज से निकाल दिया गया, तीन साल के अंतराल के बाद पुनः शिक्षा आरंभ करने के लिए एक छात्रवृत्ति पाने में सक्षम हो गयी, और 2003 में अंसारी नेपालगंज के महेंद्र मल्टीपल कॉलेज से विधि में स्नातक की डिग्री लेने के साथ पहली मुस्लिम महिला कानून स्नातक बन गयी।
स्नातक के बाद, अंसारी वैश्विक एनजीओ(NGO) के लिए काम किया जहां से वह यूएनडीपी के लिए और फिर राष्ट्रीय महिला आयोग के लिए आगे बढ़ी। NWC में कमिश्नर के पद पर काम करने दौरान अंसारी को प्रधानमंत्री कार्यालय से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(NHRC) में काम करने का ऑफर मिला।
एक बढ़ई की बेटी, जिसने एक सरकारी स्कूल में अध्ययन किया और जिसे एक साल बाद आर्थिक समस्या की वजह से कॉलेज से निकाल दिया गया, तीन साल के अंतराल के बाद पुनः शिक्षा आरंभ करने के लिए एक छात्रवृत्ति पाने में सक्षम हो गयी, और 2003 में अंसारी नेपालगंज के महेंद्र मल्टीपल कॉलेज से विधि में स्नातक की डिग्री लेने के साथ पहली मुस्लिम महिला कानून स्नातक बन गयी।
स्नातक के बाद, अंसारी वैश्विक एनजीओ(NGO) के लिए काम किया जहां से वह यूएनडीपी के लिए और फिर राष्ट्रीय महिला आयोग के लिए आगे बढ़ी। NWC में कमिश्नर के पद पर काम करने दौरान अंसारी को प्रधानमंत्री कार्यालय से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(NHRC) में काम करने का ऑफर मिला।
Courtesy: Muslim Mirror
0 comments:
Post a Comment