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Indian Muslim

मौलाना बदरुद्दीन अजमल और राजनीतिक हलचल

असम में इन दिनों राजनैतिक हलचल के बीच हर किसी की निगाहें मौलाना बदरुद्दीन अजमल पर ही टिकी हैं मौलाना अजमल व्यापार की सफल पारी खेलने के बाद राजनीति के क्षितिज में मौजूदा चुनाव के किंग मेकर बनकर उभर रहे हैं। मौलाना बदरुद्दीन अजमल की यह उपलब्धि केवल अटकलें या महज खोखले शब्दों के सहारे भड़काऊ बयानबाजी, और मुसलमानों के ईसाई धर्म का ढोंग रचाने की वजह से नहीं बल्कि उनकी मेहनत लगन और लगातार संघर्ष का परिणाम है।

दाढ़ी, टोपी, आध्यात्मिक स्वरूप और सरल एवं सदा पोशाक में सजे, कंधे पर असमी गमचखा डाले, नरमपंथी दिखने मौलाना बदरुद्दीन अजमल न भड़काऊ भाषण देते हैं, न भड़काऊ बयानबाजी करते हैं, और न ही मुसलमानों के ईसाईधर्मांतरण का रोना रोते हैं बल्कि परोपकारी कार्यों में संलग्न हैं, दंगों में मुसलमानों की दाद रसी  बाढ़ पीड़ितों के राहत के लिए प्रयासरत और हर समय जनता के हितों के लिए मुस्तैद नजर आते हैं। यही कारण है कि मौलाना बदरुद्दीन अजमल हर धर्म और समुदाय के लोगों  के दिलों पर राज करते हैं और अपनी नम्रता, मधुर बातचीत व्यक्तिप्रेम के कारण दोस्त ज्यादा और दुश्मन न के बराबर हैं।

मौलाना का जन्म असम के धबड़ी में 12 फरवरी 1950 को एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, भारत के मशहूर संस्थान दारुल उलूम देवबंद से फ़ारिग़ मौलाना एकप्रसिद्ध विद्वान, शिक्षा विशेषज्ञ के साथ साथ सफल करोड़पति व्यापारी और सामाजिक कार्यकर्ता बनकर उभरे।

मौलाना वैसे तो देश में विनिर्माण, व्यापार और सामाजिक सेवाओं की वजह से पहचाने जाते थे, लेकिन नियमित रूप से 2005 में एयूडीएफ पार्टी का गठन कर असम के विधानसभा चुनाव में भाग लिया और पहले ही चरण में मौलाना की पार्टी ने दस सीटों पर सफलता प्राप्त करके अपने आगमन के डंके की चोट पर न केवल घोषणा की थी बल्कि राजनीतिक गलियारों में हलचल भी पैदा कर दी थी, बाद में 2011 के विधानसभा चुनाव में इस नई पार्टी ने 18 सीटें हासिल कर जहां अपनी विकास दर्ज कराई थी वहीं एक विपक्षी पार्टी बनकर असम के राजनीतिक क्षितिज पर भी उभरी थी तथा हालिया लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर जीत हासिल करके अपने हौसलों को बुलंद किया। इन उपलब्धियों से समर्पित पार्टी अपनी संघर्ष की लगातार हरकत में है और उम्मीद से अधिक उपलब्धियों की सीढ़ियों चढ़ती नजर आ रही है, और माना जा रहा है कि मौलाना बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में एयूडीएफ पार्टी न केवल पहले से कहीं अधिक सीटें हासिल करेगी बल्कि उम्मीद है कि एयूडीएफ के योगदान के बिना किसी भी पार्टी का सत्ता में आना असंभव की हद तक मुश्किल होगा, बल्कि कुछ जानकार तो अजमल साहब के मुख्यमंत्री बनने का भी अनुमान लगा रहे हैं।

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