जहां चाह,
वहीं राह. कुछ ऐसी ही कहानी है कश्मीर की आयशा अजीज
की. उसका सपना कुछ चुनौतीपूर्ण और अपरंपरागत करना था। बचपन में ही तय कर लिया था कि
एक दिन आसमान में पंछियों के साथ उड़ूंगी, और निकल पड़ी अपने इस सपने को हकीकत बनाने के लिए. 16 साल की उम्र में उसने भारत के सबसे युवा महिला पायलट बन अपना
सपना पूरा किया।
आयशा अज़ीज़,
जो 20 साल की हैं, कहती हैं, "भारत के सबसे युवा पायलट होने की तुलना में मैं अपने बचपन के लक्ष्य को पूरा होने
पर ज़यादा खुश हूँ। विमान के उड़ान भरने और
लैंडिंग का मैं आनंद लेती हूँ, जबकि मेरे भाई को डर लगता है और हमेशा उड़ान के दौरान सोते हैं।"
युवा प्रेरणा स्त्रोत,
आयशा को नासा यात्रा करने का भी मौका मिला जहाँ
वह जॉन मैकब्राइड से मिलीं। उनकी ख़ुशी की कोई
सीमा नहीं रही जब वह अपने दूसरे सबसे बड़ी प्रेरणादाई सुनीता विलियम्स के साथ
बातचीत करने का अवसर मिला। आयशा याद करती हैं,
"जब सुनीता विलियम्स से जब
वह 2013 या 2014 में वर्ली आयी थीं तो मैं उनसे मिली थी। मैंने
उनके साथ अपने अनुभवों को साझा किया था। मैंने
नासा में जिन गतिविधियों में मैंने भाग लिया था उसके बारे में उन्हें बताया था।
"
जुनून ही इस पुरुष
प्रधान जगत में असली ताकत है। किसी को भी फोकस, स्थिरता, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास
की ज़रुरत हैं। बंबई में बंबई फ्लाइंग क्लब में उसके 40 के बैच में,
जहाँ वह एविएशन में बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा
है, वहां सिर्फ 4 महिलायें हैं। वह कहती हैं, " आपको अपना सर हमेशा ऊँचा रखना चाहिए और दूसरों को
मौका न दें आपको नीचे करने का। " अपना बीएससी पूरा करने के बाद उन्हें अपना वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस मिलेगा जिसके लिये
उसे उड़ान के कुल 200 घंटे के 80 घंटे पूरा करना हैं।
दसवीं पास करने के
बाद उसने फ्लाइंग स्कूल ज्वाइन किया। 16 साल की उम्र पार करने के तुरंत बाद नवंबर 2013 में उसने स्टूडेंट पायलट लाइसेंस हासिल कर लिया। लेकिन कुछ
आर्थिक समस्याओं के कारण वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस के लिए प्रशिक्षण उसे देरी हो गई।
वर्तमान में वह एकल इंजन सेसना 152 और सेसना 172 उड़ाती
हैं।
उसकी सफलता के पीछे
उसका उत्साहजनक परिवार है। वह कहती हैं, "जब अपने पिता से कहा कहा कि मैं पायलट बनना चाहती थी तो उन्होंने
मेरे दसवीं पास करने के तुरंत बाद फ्लाइंग स्कूल भेज दिया।"
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